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गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

राजनीति से दूर रहकर करनी होगी जांच

 घोटालों का बढ़ता क्रम चाहे वह २४ साल पुराना बोफोर्स का मामला हो या हाल ही में हुआ अब तक का सबसे बड़ा घोटाला 2-जी स्पेक्टम घोटाला, तब तक अपने निष्कर्ष पर नहीं पहुंचेगा जब तक इन मामलों से राजनीति दूर नहीं होगी और सीबीआई बिना किसी के प्रभाव के स्वायत्तपूर्ण या स्वतंत्रतापूर्ण काम करना नहीं शुरू करेगी।24 साल पुराना बोफोर्स का मामला फिर से उजागर हुआ है, जिसमें विन चड्ढा और इटली के व्यापारी ओत्तावियो क्वात्रोची को   देने रिश्वत  का मामला सामने आया है। आयकर अपीलीय न्यायाधिकार ने फैसला सुना दिया है,कि सोनिया गांधी परिवार के नजदीकी चड्ढा और क्वात्रोची को बोफोर्स तोप बनाने वाली ४१ करोड़ रूपये की दलाली दी थी; और न्यायाधिकरण उन खातों का विवरण दे रहा है, जिन खातों से दलाली की रकम राजीव गांधी तक पहुचायीं गई। उस समय ये लेकर अब तक कांग्रेस और सीबीआई द्वारा मामले को दबाने की कोशिश  की गई थी और की जा रही है।
सीबीआई का तर्क है कि जांच में २५० करोड़ रूपये खर्च हो चुके है और बोफोर्स ऐसा मामला है,जिसकी जांच के लिये देश  में पहली बार जेपीसी भी बनी थी, लेकिन अब तक इस मामले को सुलझाया नहीं जा सका है। इससे संबद्ध विन चड्ढा, राजीव गांधी, एस.के.भटनागर, मार्टिन, हिन्दुजा बंधु छूट ही चुके हैं। 19 साल भारत में रहने के बाद 1993 में बचकर निकल चुका क्वात्रोची को सीबीआई पकड़ पाती है या नहीं, ये कहना तो मुश्किल  है; लेकिन एक बात तो तय है कि किसी भी ईमानदारी पूर्ण निर्णय की उम्मीद तभी की जाती है,जब मामलों से राजनीति दूर रहेगी और सीबीआई स्वतंत्रतापूर्ण काम करना शुरू करेगी।