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सोमवार, 7 मई 2012

राजनीतिज्ञों से परे है राष्ट्रपति पद


15 अगस्त 1947 में स्वतंत्रता मिलने के बाद अन्तरिम व्यवस्था के तहत देश एक राष्ट्रमंडल अधिराज्य बन गया। इस व्यवस्था के तहत भारत के गवर्नर जनरल को भारत के राष्ट्र प्रमुख के रूप में चुना गया. जिन्हें भारत के अंतरिम राजा जार्जद्वारा ब्रिटिश सरकार के बजाय भारत के प्रधानमंत्री की सलाह पर नियुक्ति करना था. जो सही नहीं समझा गया. जिसके चलते अंतिम ब्रिटिश गवर्नर लार्ड माउंट बेटन ने अपना पद सी. राजगोपालाचरी को सौप  दिया जो भारत के प्रथम गर्वनर जनरल बने,  इसी बीच डॉ राजेंद्र प्रसाद के नेतृत्व मे बना भारतीय संविधान का मसौदा 26 जनवरी 1950 को पूरी तरह  से स्वीकार कर  लिया गया, और राजेन्द्र प्रसाद को देश का प्रथम राष्ट्रपति  का पद सौपा  गया। इस तरह राजा का पद राष्ट्रपति में तब्दील हो गया
भारतीय राष्ट्रपति राष्ट्रप्रमुख और भारत का प्रथम नागरिक होता है। राष्ट्रपति अधिकतम दो कार्यकाल ही इस पद पर रह सकता है अभी तक राजेन्द्र प्रसाद ने ही राष्ट्रपति के रूप मे अपने दो कार्यकाल पूरा किया है। वर्तमान राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल देश की 1वी और पहली महिला राष्ट्रपति हैं जिनका कार्यकाल जुलाइ मे पूरा होने वाला है। इसलिए अगले राष्ट्रपति के चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी है एक तरफ राजनीतिक पार्टियां अपनी गोटियां खेलने मे लगी है वहीं दूसरी तरफ सुझाव रहे हैं कि राष्ट्रपति गैर राजनीतिक पार्टी वाला व्यक्ति होना चाहिए। जिसके लिए सैम पित्रोदा और अब्दुल कलाम के नाम सामने रहे है . 
अगर राष्ट्रपति की योग्यता की बात की जाय तो 35 साल या इससे अधिक आयु वाला व्यक्ति राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार हो सकता है बस वह सरकार के किसी लाभ के पद पर हो। लेकिन क्या यह भी योग्यता के तहत आता है कि वह किसी पार्टी का हो। यह प्रश्न विचार के योग्य है की एक राष्ट्रपति राजनीतिक पार्टी का होना चाहिए या नहीं
यदि हम अब तक के राष्ट्रपतियों पर नजर डालें जिन्हें समाज एवं  राष्ट्र ने योग्य का दर्जा दिया है, कि वे किसी पार्टी से संबद्ध थे या नहीं, तो कांग्रेस द्वारा पंजाब के मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद ज्ञानी जैल सिंह को राष्ट्रपति का पद भार सौंपा गया। लेकिन अपने कार्यकाल के बाद वे एक महान विदवन श्रेष्ठ  कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में अपने  एवं पार्टी मुक्त निर्णय को ºत्वता देकर राष्ट्रपति का फर्ज अदा किया, इसका उदाहरण है 1987 में पोस्टल  कानून से असहमत  होने के कारण उन्होंने उस विधयेक को अपने पास रोके रखा. जो बाद में रद्द हो गया. इसके अलावा राजीव गाँधी सरकार में राज्य मंत्री के. के. तिवारी के मामले में भी उन्होंने अपनी ताकत दिखाइ. 
वहीं देश के प्रथम राष्ट्रपति  और अधिकतम कार्यकाल पूरे करने वाले डॉ राजेंद्र प्रसाद की बात करें तो वे भी काग्रेस अधिवेसन के अध्यक्ष रह चुके थे लेकिन उनकी योग्यता में स्वाधीनता संग्राम मे हिस्सा लेना,अधिकतम भाषाओं  का ज्ञान एवं उनकी कानून की डिग्री शुमार  है। इसके अलावा दूसरे  राष्ट्रपति सर्वापल्ली कृष्णन् का स्थान इसी से दिखता है कि उनका जन्म दिन आज भी शिक्ष्क दिवस के रूप मे मनाया जाता है वे भी एक आस्थावान हिन्दू विचारक भारतीय संस्कृति से प्रभावित व्यक्ति थे
इस प्रकार इतिहास के अब तक के सफर मे जितने भी राष्ट्रपतियों की हमने बात की वे किसी किसी राजनीतिक पार्टी या विचारधारा से जुड़े हुए थे लेकिन वे सभी अपने आप मे एक विशेषता  लिए हुए, पद की समझ रखने वाले एवं कानून और अर्थशास्त्र मे निपुण व्यक्ति रहे है समय समय पर उन्होंने अपने स्वतंत्र अस्तित्व को साबित किया है जैसे „ååˆ में राष्ट्रपति कलाम  ने गृह मंत्री की सिफारिश मानते हुए अपने फैसले को महत्व दिया. उन्होंने  राजस्थान  में पत्नी, दो बच्चे और रिश्तेदार की हत्या करने वाले खेराज राम की फांसी की सजा को उम्र कैद में बदल दिया था.
वही राष्ट्रपति ने अपनी राय को महत्वता देते हुएप्रधान मंत्रियो चरण सिंह 1‹Šå , अटल बिहारी बाजपेयी 1‹‹ˆ, चन्द्र शेखर 1‹‹å को पद पर आने का मौका दिया और जेल सिंह ने इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद संसदीय दल का नेता चुने जाने से पहले राजीव गाँधी को प्रधान मंत्री बना दिया था  इसके अलावा के आर नारायण ने संयुक्त मोर्चा सरकार की सिफारिश को ठुकराते हुए तात्कालिक उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली सरकार को बर्खास्त करने से इन्कार कर दिया था.
जब पार्टी या राजनीतिक रूप मे देश का राष्ट्रपति चुनना जरूरी हो जाता है तो उनकी इन योग्यताओं का ध्यान बाद मे आता है वहीं दूसरी तरफ ये कहना भी गलत होगा की किसी पार्टी या संगठन वाले वक्ती मे ये योग्यताए नहीं हो सकती है इस प्रकार देश के प्रथम नागरिक के चयन मे सामान्यष्टि से व्यक्ति या योग्यता  को महत्वता देनी चाहिए. किसी पार्टी मात्र से जुड़े होने से उसकी योग्यता पर प्रश्न चिन्ह लगाना भी गलत होगा!

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